सनातन हिन्दू धर्म
HinduDharma.in - एक परिचय
“वसुधैव कुटुम्बकं” और “सर्वेभवन्तु सुखिन:” जैसे अनमोल विचारों को जन्म देने वाला हिन्दू धर्म महज एक धर्म नहीं है बल्कि ये वो जीवन शैली है जो हिन्दू धर्म के लोगों को पूजा-पाठ तक ही सीमित न रखकर सम्पूर्ण समाज के विकास के लिए प्रेरित करती है फिर चाहे वो योग के जरिये पूरे विश्व के कल्याण का मुद्दा हो या फिर प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा दी गयी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, नि:संदेह ये हिन्दू धर्म द्वारा इस संसार को दी गयी वे धरोहरें हैं जिन पर मानव जाति सदैव गर्व महसूस करेगी तभी तो पृथ्वी के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक और लगभग 4500 ईसा पूर्व विकसित हुए इस सनातनी धर्म को शाश्वत माना गया है यानि जिसका “न आदि है न अन्त”, चूंकि ये धर्म हमारी जीवन शैली को सकारात्मक दिशा देता है इसलिए हमारे जीवन में इस धर्म का महत्व काफी बढ़ जाता है| लेकिन जैसे-जैसे समय बदला हिन्दू धर्म के लोगों की जीवन शैली में आधुनिकता के शामिल होने से एक बड़ा बदलाव दर्ज किया गया और इस बदलाव ने हिन्दू धर्म की सकारात्मक सोच को न केवल आहत किया बल्कि भौतिक सुख-सुविधा पाने की होड़ में हिन्दू धर्म पालकों ने सनातनी धर्म से जुड़ी जीवन शैली से मुंह मोड़ लिया जिसका खामियाजा सेहत और संस्कार की मजबूत विरासत को गँवाकर चुकाना पड़ रहा है|
हम हिन्दू धर्म पालक अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने की प्रतिस्पर्धा और समयाभाव के चलते हिन्दू धर्म संस्कृति में शामिल पूजा-अनुष्ठान, जप-तप, यज्ञ-हवन, संस्कार और संस्कृति सम्मान से कहीं दूर निकल आए हैं, ऐसे में चीन के वुहान से निकली COVID-19 नाम की वैश्विक महामारी ने जब पूरी दुनियाँ को जकड़ा तो ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स और सुपरपावर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक ने हिन्दू धर्म संस्कृति में शामिल “नमस्कार” को स्वीकारने की नसीहत पूरी दुनियाँ को देकर हिन्दू धर्म संस्कृति की जीवन शैली को केवल धर्म तक ही नहीं जोड़े रखा यहाँ तक कि इस महामारी में अमेरिकी संसद द्वारा ब्राह्मण बुलाकर हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा कराना भी हिन्दू धर्म की जड़ों के गहराई की ओर संकेत करता है तो दूसरी तरह हिन्दू संस्कृति पर आधारित आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा इस्तेमाल किया जाना हिन्दू धर्म संस्कृति को जीवन में ढालने की प्रेरणा दे रहा है क्योंकि सनातन काल से चली आ रही ये वही धर्म-संस्कृति है जिसका अनुपालन हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार करता आया है |
तभी तो जब प्राचीन हिन्दू सनातन धर्म के ऋषि मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्मा (सृष्टि सृजन कर्ता), ब्रह्मांड (universe) और आत्मा (soul) के रहस्य को जानकर स्पष्ट तौर पर संसार के सामने रखा तो वेदांतों में उल्लिखित सनातन सत्य की महिमा से विज्ञान भी धीरे-धीरे सहमत हो चला और परिणाम स्वरूप यात्रा शुरू हुई अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों की, जिसके चलते कभी नासा (NASA) ने समस्त ब्रह्मांडीय ध्वनि के पीछे ॐ के अस्तित्व को स्वीकारा तो कभी स्विट्जरलैंड (Switzerland) के वैज्ञानिकों ने ईश्वरीय कण (Particle of God) यानि “हिग्स बोसोन” के खोज लिए जाने की घोषणा की| ऐसा नहीं है कि इस धरती पर अन्य धर्मों को परे रखा गया बल्कि इन सभी पर ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकारने और स्वयं ब्रह्मा जी के मुख से निकले और लिपि बद्ध किए गए शब्दों को ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद में वर्णित मनुष्य जीवन के संचालन की उपयोगिता के चलते सनातन हिन्दू धर्म के महत्व को स्वीकारा गया, इतना ही नहीं हिन्दू धर्म में पड़ने वाले तीज-त्योहारों के वैज्ञानिक महत्व ने भी इस धर्म को शाश्वत सत्य बनाए रखने की परम्परा कायम रखी| जैसे: मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य के उत्तरायण होने पर उत्सव का मनाया जाना और दक्षिणायन होने पर श्राद्ध व्रत धर्म का पालन किए जाने के पीछे भी वैज्ञानिक महत्त्व ये है कि उत्तरायण सूर्य अगर शरीर और मन में उल्लास लाता है तो दक्षिणायन सूर्य जीवन में विकार उत्पन्न करता है जिसके चलते इस संसार में अमावस्या, पूर्णिमा, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएँ होती हैं इनसे आगे बढ़ें तो केवल मकर संक्रांति ही नहीं पीले रंग से सजी धरती का प्रतिनिधित्व (representation) करती बसंत पंचमी भी वैज्ञानिक आधार पर जीवन से तनाव (depression) को दूर कर खुशी का संचार करती है| बसंत पंचमी से जुड़ी ये बातें बसंत पंचमी के दिन पहने जाने वाले पीले परिधान को लेकर है, जब सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप से इनपर पड़ती हैं तो वो दिमाग पर सीधा असर डालती हैं|
मकर संक्रांति और बसंत पंचमी के अलावा हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले अन्य महापर्वों – गणेश उत्सव, नवरात्रि, शिवरात्रि, होली, विजयदशमी और दीपावली का भी धार्मिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व है| इतना ही नहीं हिन्दू सनातन धर्म के अलग-अलग संप्रदाय जैसे वैष्णव, शैव, शाक्त और ब्रह्म संप्रदाय के भी अपने-अपने तीज-त्योहार हैं जिनके पीछे अनंतकाल से बस एक ही सोच चलती चली आई है और वो ये कि जीवन शैली में समृद्ध संस्कृति को शामिल किए जाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो|
ऐसे में जीवन में अपनाई गई हिन्दू धर्म संस्कृति इस धरती पर रह रहे सभी जीवों के जीवन में सुख-समृद्धि के साथ पवित्रता और शांति को भी शामिल कर सकती है, बस आवश्यकता होती है सनातन हिन्दू धर्म में शामिल जीवन शैली,अनुष्ठानों, संस्कारों, जप, तप और तीज-त्योहारों आदि के नियमों का पालन करने की, लेकिन समय की कमी और हिन्दू धर्म में परम्पराओं की भरमार ने आधुनिकता से भरे हिन्दू समाज को इनसे दूर कर दिया है और शायद यही कारण है कि बदलते वक्त के साथ हिन्दू धर्म के कल्याण से जुड़े कार्यों को दिशा देने के लिए विद्वानों ने सरल तरीका ढूंढ लिया है|
जिसके चलते इंटरनेट के इस दौर ने इस धरती पर निवास कर रहे प्रत्येक हिन्दू को एक-दूसरे से जोड़ दिया है, तभी तो आज हम इतनी व्यस्तताओं के बावजूद हिन्दू धर्म और इसकी जीवन शैली से जुड़े से सम्पूर्ण ज्ञान को इतने सुविधाजनक तरीके से आप तक पहुंचा पा रहे हैं | हिन्दू धर्म संस्कृति पूरे संसार का मार्गदर्शन कर मनुष्य के चरित्र (character) में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल हो, इसी उद्देश्य को लक्ष्य मानकर हमने www.HinduDharma.in नाम के एक विशाल हिन्दू मंच (platform) की स्थापना की है जिसके माध्यम से दुनियाँ के किसी भी कोने में बैठा सनातन धर्म पालक बिना किसी शुल्क (fees) दिये इस मंच से जुड़ सकता है और हिन्दू जन-कल्याण के लाभों से न केवल खुद को बल्कि दूसरों को भी लाभान्वित कर सकता है|
उदाहरणार्थ (For Example):
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चूंकि हिन्दू धर्म संस्कारों और पूजा अनुष्ठानों के आचरणों से भी बंधा है इसलिए इसकी उपयोगिता को महत्व देते हुए हमने www.HinduDharma.in से interlinked एक और सेवा www.homepuja.com शुरू की है जिस पर इस धर्म के कल्याण से जुड़ी सभी सेवाएँ एक मंच पर उपलब्ध होंगी जिसका लाभ सेवा देने (service provider) वाले और सेवा लेने वाले (service procurer) दोनों उठा सकते हैं|
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